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नक्सल इलाकों में बहुआयामी रणनीति गृह मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की नई दिल्ली में बैठक हुई, जिसमें नक्सलवाद की समस्या पर विचार-विमर्श किया गया। सदस्यों को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई है। सरकार ने सुरक्षा, विकास, लोगों के अधिकारों तथा गर्वनेंस में सुधार के जरिए विभिन्न मौके पर हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा संबधी खर्च, विशेष अवसंरचना योजना, किला बंद थाना योजना, नागरिक कार्यक्रम, आतंक विरोधी विद्यालयों की स्थापना, सुरक्षा बटालियन जैसी विभिन्न योजनाओं के जरिये राज्य पुलिस बलों की क्षमता में सुधार के अनेक कदम उठाए गए हैं। सुशील कुमार शिंदे ने सदस्यों को बताया कि गृह मंत्रालय देश के 82 जिलों में सार्वजनिक अवसंरचना तथा सेवाओं को बनाने के लिए 2010 से समेकित कार्य योजना लागू कर रहा है, इनमें से अधिकतर जिले नक्सलवाद प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि अच्छे प्रदर्शन के स्तर पर सभी राज्य सरकारों को लाया जाए, ताकि नक्सली समस्या से एकरूप और समन्वित तरीके से मुकाबला किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) अपने मजबूत इलाकों में निर्दोष और असहाय लोगों को निशाना बनाकर हमला करने की क्षमता रखती है, माओवादियों की क्षमता को कम करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को कड़ी मेहनत करनी होगी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है, नक्सली विरोधी कार्रवाई के लिए 90 बटालियन तैनात की गई हैं। बैठक में गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन तथा आरपीएन सिंह, राज्य सभा सदस्य एचके दुआ तथा अशोक शेखर गांगुली, लोकसभा सदस्य एम रेड्डी तथा के सुधाकरण, गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलो के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

नक्सल प्रभावित 130 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची

  नक्सल प्रभावित  130 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़ चिरौली जिले से लगे मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सली अपना आधार फिर से मजबूत कर रहे हैं।  बालाघाट जिले में पिछले 20 सालों में नक्सलियों द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में की गई वारदातों में 81 लोगों की मौत हुई है। वहीं पुलिस मुठभेड़ में 14 नक्सली मारे गए हैं, जबकि 111 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं।   मध्‍यप्रदेश का बालाघाट जिला पिछले दो दशक से नक्सलवाद समस्या से प्रभावित है। प्रशासन को यहां के आदिवासी अंचलों में जाकर वहां रहने वाले लोगों के दुख-दर्द और समस्याओं को करीब से देखने का जो प्रयास करना चाहिए था, वह नहीं हो पा रहा है। जिले में विकास का सारा तामझाम शहरी क्षेत्रों के आसपास लालबर्रा-वारासिवनी-कटंगी-बैहर-लांजी-किरनापुर आदि के आसपास सिमटकर रह गया है। यह तथ्‍य हैरान करने वाला है कि आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी बालाघाट जिले में 130 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची है। इन गांवों में उमरधौनी, कोठियाटोला, असरमा, नीला, कुन्दुल, भोरझिरिया, चिखलाझ