क्या होती है ग्राम पंचायत?


किसी भी ग्रामसभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। हर गाँव में एक ग्राम प्रधान होता है। जिसको सरपंच या मुखिया भी कहते हैं। 1000 तक की आबादी वाले गाँवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य, 2000 तक 11 तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य हाेने चाहिए। ग्राम सभा की बैठक साल में दो बार होनी जरूरी है। जिसकी सूचना 15 दिन पहले नोटिस से देनी होती है। ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है। बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति जरूरी होती है। 

ग्राम पंचायत के 1/3 सदस्य किसी भी समय हस्ताक्षर करके लिखित रूप से यदि बैठक बुलाने की मांग करते हैं, तो 15 दिनों के अंदर ग्राम प्रधान को बैठक आयोजित करनी होगी। ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा अपने में से एक उप प्रधान का निर्वाचन किया जाता है। यदि उप प्रधान का निर्वाचन नहीं किया जा सका हो तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उप प्रधान नामित कर सकता है। 


प्रधान, उपप्रधान को पद से हटाना

अगर ग्राम प्रधान या उप प्रधान गाँव की प्रगति के लिए ठीक से काम नहीं कर रहा है तो उसे पद से हटाया भी जा सकता है। समय से पहले पदमुक्त करने के लिए एक लिखित सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी को दी जानी चाहिए, जिसमे ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने ज़रूरी होते हैं। सूचना में पदमुक्त करने के सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए। हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों में से तीन सदस्यों का जिला पंचायतीराज अधिकारी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य होगा। 

सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर जिला पंचायत राज अधिकारी गाँव में एक बैठक बुलाएगा जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले दी जाएगी। बैठक में उपस्थित तथा वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रधान एवं उप प्रधान को पदमुक्त किया जा सकता है।

ग्राम पंचायत की समितियां और उनके कार्य 

1. नियोजन एवं विकास समिति


सदस्य : सभापति, प्रधान, छह अन्य सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य अनिवार्य होता है।


समिति के कार्य: ग्राम पंचायत की योजना का निर्माण करना, कृषि, पशुपालन और ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का संचालन करना।


2. निर्माण कार्य समिति


सदस्य: सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की ही तरह) समिति के कार्य: समस्त निर्माण कार्य करना तथा गुणवत्ता निश्चित करना।


3. शिक्षा समिति


सदस्य: सभापति, उप-प्रधान, छह अन्य सदस्य, (आरक्षण उपर्युक्त की भांति) प्रधानाध्यापक सहयोजित, अभिवाहक-सहयोजित करना।


समिति के कार्य: प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा तथा साक्षरता आदि सम्बंधी कार्यों को देखना।


4. प्रशासनिक समिति


सदस्य: सभापति-प्रधान, छह अन्य सदस्य आरक्षण (ऊपर की तरह)


समिति के कार्य: कमियों-खामियों को देखना।


5. स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति


सदस्य : सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की तरह)


समिति के कार्य: चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बंधी कार्य और समाज कल्याण योजनाओं का संचालन, अनुसूचित जाति-जनजाति तथा पिछड़े वर्ग की उन्नति एवं संरक्षण।


6. जल प्रबंधन समिति


सदस्य: सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की तरह) प्रत्येक राजकीय नलकूप के कमांड एरिया में से उपभोक्ता सहयोजित


समिति के कार्य : राजकीय नलकूपों का संचालन पेयजल सम्बंधी कार्य देखना।


ग्राम पंचायत के कार्य


= कृषि संबंधी कार्य 


=ग्राम्य विकास संबंधी कार्य 


=प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय व अनौपचारिक शिक्षा के कार्य


=युवा कल्याण सम्बंधी कार्य


=राजकीय नलकूपों की मरम्मत व रखरखाव


=चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बंधी कार्य 


=महिला एवं बाल विकास सम्बंधी कार्य 


=पशुधन विकास सम्बंधी कार्य


=समस्त प्रकार की पेंशन को स्वीकृत करने व वितरण का कार्य 


=समस्त प्रकार की छात्रवृत्तियों को स्वीकृति करने व वितरण का कार्य 


=राशन की दुकान का आवंटन व निरस्तीकरण


=पंचायती राज सम्बंधी ग्राम्यस्तरीय कार्य आदि।


ग्राम न्यायालय


12 अप्रैल 2007 को केंद्र सरकार के एक निर्णय के अनुसार ग्रामीण भारत के निवासियों को पंचायत स्तर पर ही न्याय दिलाने के लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर एक ग्राम न्यायालय की स्थापना की जाएगी। इस पर प्रत्येक वर्ष 325 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें तीन वर्ष तक इन न्यायालयों पर आने वाला खर्च वहन करेंगी। ग्राम न्यायालयों की स्थापना से अन्य अदालतों में मुकदमों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।


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